लालू प्रसाद ने पिछले कई सालों में न जाने बिहार की सड़कों को लेकर कितने वादे किये होंगे. उन्हीं वादों में से एक प्रमुख वादा रहा कि बिहार कि सडकें हेमामालिनी के गालों कि तरह चिकनी होंगी. नीतीश कुमार के राज में सड़कों की तुलना हेमामालिनी के गाल से तो नहीं की जा सकती लेकिन बिहार इ लोग इस बात से खुश है कि सडकें कम से कम धर्मेन्द्र की बाजुओं की तरह चौड़ी तो हुई.
बिहार की सड़कों में पिछले कुछ महीनों में काफी सुधार हुआ है. मुज्जफरनगर के रास्ते पटना से दरभंगा जाने में अब पहले की तुलना में आधा समय लगता है. बिहार के कई हिस्सों में अब सड़क मार्ग से सफ़र करना आरामदायक हो गया है. बिहार के लोगों को नीतीश के राज में अब इस बात के बारे में नहीं सोचना पड़ता कि इस रस्ते से जाने पर दिक्कत का सामना न करना पड़े. अब लोग बेचिंत होकर अपनी गाड़ी को रास्ते पर उतार रहे है. इसका लाभ नीतीश को बिहार चुनावों में जरूर मिलने वाला है.
बिहार में 2006-2007 के बाद से 23606 किलोमीटर सडको का निर्माण हुआ है. हालाँकि इसका श्रेय भी लालू खुद लेना चाहते हैं. उनका कहना है कि बिहार में सडकें बनाने कि योजना को उन्होंने शुरू किया था ओर नीतीश इसे आगे बढाकर फायदा उठा रहे हैं. वहीँ नीतीश लालू की इस बात पर जवाबी हमला करते हैं कि पहले लोग रात में यात्रा करने से डरते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. कुमार यहाँ अछि सड़कों ओर बेहतर हुई कानून व्यवस्था के जरिये अपनी चुनावी नैया पार लगाने के लिए लोगों कि वाहवाही बटोरना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनका इस समय यही लक्ष्य है कि कानून व्यवस्था की हालत सुधरे ओर पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिले.
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