सरकार के फैसले से प्रोफेसरों के दिल में जैसे ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. सरकार ने प्रोफेसरों को मोटा वेतन देने संबंद्धि प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है. अब भारतीय प्रबंधन संस्थान यानि आईआईएम में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों को 50 लाख रुपए सालाना तनख्वाह मिल सकेगी सरकार ने आईआईएम के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि दूसरे देशों में पढ़ा रहे भारतीय प्रोफेसरों को फिर से भारत में लाया जा सके. इस समय भारतीय प्रबंधन संस्थान प्रोफेसरों की जबर्दस्त कमी से झूझ रहा है. सरकार ने पहले ही 7 नए आईआईएम खोलने की मंजूरी दे दी है लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि आईआईएम में इस समय एक चौथाई प्रोफेसरों के पद रिक्त पड़े है. ऐसे में तो योग्य प्रोफेसरों की कमी की समस्या और बढ़ सकती है.
वर्तमान में आईआईएम में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों को 12 से 15 लाख रुपए मिलते है जबकि सरकार के इस प्रस्ताव के बाद विदेशों खासकर अमेरिका और यूरोपीय देशों में पढ़ा रहे भारतीय शिक्षकों का काफी हद तक भारत में पढ़ाने का आकर्षण बढ़ेगा.
हालाँकि शिक्षकों पर होने वाले इस मोटे खर्च को आईआईएम ने खुद ही वहां करने की बात कही है. इसके मुताबिक बेंगलुरु, कोलकाता, लखनऊ, अहमदाबाद, कोझीकोड़ तथा इंदौर अपने पुराने छात्रों से मिली राशि और अन्य स्रोतों से प्राप्त आय को प्रोफेसरों के वेतन पर खर्च करेंगे. बकि त्रिचि, रोहतक, रायपुर,रांची और शिलांग आईआईएम को सरकार 50 करोड़ रुपए कर्ज बिना ब्याज के देगी जिसे बैंक में जमा करा दिया जायेगा और उससे मिलने वाले ब्याज से शिक्षको को अतिरिक्त वेतन दिया जायेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें