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नवंबर 28, 2010

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

भारत के संविधान ने लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है; और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग ऐसी सूचना की अपेक्षा करता है , जो उसके देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए और सरकारों तथा उनके कर्मचारियों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिए भी जरुरी हो. यह नागरिक वर्ग इस बात की अपेक्षा भी करता है कि सरकार लोक हितों के लिए बनाई गयी नीतियों व योजनाओं की सम्पूर्ण जानकारी उन्हें प्रदान करे तथा उन्हें इस बात की भी सूचना दे कि सरकार किस प्रकार सीमित राज्य वितीय संसाधनों का पूरी तरह से उपयोग कर रही है.

अत: ऐसे शिक्षित वर्ग को सूचना देने के लिए, जो उसे पाने के इच्छुक हों, उनके लिए भारत गणराज्य के 56वे वर्ष में संसद द्वारा 15 जून, 2005 को एक अधिनियम बनाया गया जिसका संक्षिप्त नाम " सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 " है. इस अधिनियम का विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के अतिरिक्त सम्पूर्ण भारत पर है.

भारत सरकार द्वारा पारित "सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005" आम नागरिकों को किसी भी केन्द्रीय या राज्य साकार के विभाग से कोई भी जानकारी या दस्तावेज की प्रतियाँ प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है. इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति मात्र दस रूपये का शुल्क अदा करके उक्त सूचनाएं अथवा जानकारी हासिल कर सकता है. इसके लिए आवेदक को मांगी जाने वाली सूचनाएं, अपना नाम, पता, फोन या मोबाइल नम्बर आदि का विवरण देते हुए शुल्क के साथ आवेदन करना होता है. यह शुल्क पोस्टल आर्डर, या बैंक ड्राफ्ट के रूप में दिया जा सकता है. आवेदन की तिथि से निश्चित समय के अन्दर सम्बंधित विभाग आवेदक को मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करवाता है. यदि आवेदक को निश्चित समय में सूचनाएं प्राप्त नहीं होता है या आधी अधूरी सूचनाएं प्राप्त होती हैं तो आवेदक अपील अधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है. यदि फिर भी उसे पूर्ण रूप से सूचनाएं प्राप्त नहीं होती हैं तो केन्द्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग में समस्त प्रमाण सहित अपनी शिकायत भेज सकता है. आयोग शिकायत की सुनवाई के बाद यदि शिकायत को सही पाता है तो वह सूचना न देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर २५० रूपए प्रतिदिन के हिसाब से तब तक जुर्माना लगा सकता है, जब तक वह अधिकारी उस आवेदक को सूचना प्रदान नहीं कर देता. जुर्माने की यह रकम अधिकतम 25000 रूपए तक हो सकती है. 


  • इस अधिनियम में नागरिक "समुचित सरकार" से किसी ऐसे लोक प्राधिकरण के सम्बन्ध में में सूचना मांग सकता है:-
  1. केन्द्रीय सरकार या संघ राज्यक्षेत्र द्वारा स्थापित,गठित उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों के बारे में.
  2. राज्य सरकार द्वारा स्थापित, गठित उसके स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों के बारे में.
  • इस अधिनियम के अंतर्गत नागरिक वर्ग निम्नलिखित प्राधिकारियों से नेम्न्लिखित दशाओं में सूचना की मांग कर सकता है. 
  1. लोक सभा या किसी राज्य की विधान सभा की या किसी ऐसे संघ राज्यक्षेत्र की, जिसमें ऐसी सभा हो, की दशा में अध्यक्ष से, और राज्यसभा या किसी राज्य की विधान परिषद की दशा में सभापति से;
  2. उच्चत्तम न्यायालय की दशा में भारत के मुख्य न्यायमूर्ति से;
  3. किसी उच्च न्यायालय की दशा में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति से;
  4. संविधान द्वारा या उसके अधीन स्थापित या गठित अन्य प्राधिकरणों की दशा में राष्ट्रपति या राज्यपाल से;
  5. किसी सरकारी या गैर सरकारी संगठन से सम्बंधित जानकारी उस संगठन द्वारा नियुक्त किये गए सूचना अधिकारी से;
  • इस सूचना अधिनियम के अंतर्गत नागरिक सूचना अधिकारी से, जो उसे सूचना उपलब्ध करवाएगा, से निम्नलिखित रूप में सूचना की मांग कर सकता है.
  1. इस अधिनियम में नागरिक किसी इलेक्ट्रोनिक रूप से धारित अभिलेख, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लोगबुक, रिपोर्ट, नमूने, आंकड़ों सम्बन्धी सामग्री की मांग कर सकता है.
  2. इस सूचना में नागरिक कोई दस्तावेज या फ़ाइल, किसी दस्तावेज की कोई माइक्रोफिल्म अथवा किसी कम्प्यूटर द्वारा या किसी अन्य युक्ति द्वारा उत्पादित कोई अन्य सामग्री की मांग कर सकता है.
  3. "सूचना का अधिकार अधिनियम. 2005 " के अधीन दस्तावेजों या सामग्री के प्रमाणित नमूने लेने, डिस्केट, फ्लोपी, टेप, वीडियो केसेट के रूप में या किसी अन्य इलेक्ट्रोनिक रीति में या प्रिंट आउट के माध्यम से सूचना को, जहाँ सूचना किसी कम्प्यूटर या किसी अन्य युक्ति में भंडारित है, प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है.
  • सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाद्यतायें:-
  1. इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार होगा.
  2. इस अधिनियम के अधिनियमन के 120 दिन के भीतर प्रत्येक लोक सूचना अधिकारी निम्नलिखित सूचना भी प्रदान करेगा;
  •  अपने संगठन के कृत्य और कर्तव्य;
  •  अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां और कर्तव्य;
  •  अपने कार्यों के निर्वहन के लिए स्वयं द्वारा स्थापित मापमान;
  •  अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारियों द्वारा अपने कार्यों को करने के लिए         प्रयोग किये गए नियम;
  •    ऐसे दस्तावेज, जो उसके द्वारा धारित या नियंत्रणाधीन हैं, उनका विवरण;
  •    अपने प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक का ब्यौरा;
  •    किसी इलेक्ट्रोनिक रूप में सूचना के सम्बन्ध में ब्यौरे जो उसको उपलब्ध हों;
  •    लोक सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम और अन्य जानकारी;
  •    ऐसी अन्य सूचना जो दी जा सकती हो;
3. सभी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा करते समय, जो जनता को प्रभावित करती हो, सभी सुसंगत तथ्यों को प्रकाशित करेगा;
4. प्रभावित व्यक्तियों को अपनी प्रशासनिक नीतियों की घोषणा के लिए कारण उपलब्ध करवाएगा;
5. प्रत्येक लोक अधिकारी का निरंतर यह प्रयास होगा कि वह उपधारा (1) के खंड(ख) की अपेक्षाओं के अनुसार जनता को नियमित अंतरालों पर अधिक से अधिक सूचना इन्टरनेट पर उपलब्ध कराए जिससे कि जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम का काम से काम समय लेना पड़े;
6.  उपधारा(1) के प्रयोजन के लिए, प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से ऐसे प्रारूप और तरीके से प्रसारित करे, जिसको ढूंढना जनता के लिए सहज हो;
7. सामग्री को स्थानीय भाषा और उस क्धेत्र में सूचना की अत्यंत प्रभावी पत्द्दती को ध्यान में रखते हुए प्रसारित किया जाए;
8. किसी कारण से निश्चित समय तक सूचना प्रदान न कर पाने पर अतिरिक्त समय में केवल 5 दिन की वृद्धि की जाएगी;
  •  सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध:-
  1. कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन कोई सूचना प्राप्त करना चाहता है, लिखित में या इलेक्ट्रोनिक युक्ति के माध्यम से अंग्रेजी या हिंदी में या उस क्षेत्र की जिसमें आवेदन किया जा रहा हो, के लिए अतिरिक्त फीस देनी होगी;
  2. यदि कोई सूचना लिखित रूप में नहीं है, वहां केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को सभी युक्तियुक्त सहायता मौखिक रूप से देगा, जिससे कि उसे लेखबद्ध किया जा सके;
  3. सूचना के लिए अनुरोध करने वाले आवेदक से सूचना का अनुरोध करने के लिए किसी कारण की या किसी अन्य व्यक्तिगत ब्यौरे को, सिवाए उसके जो उससे संपर्क करने के लिए आवश्यक हो, देने की अपेक्षा नहीं की जाएगी;
  4. यदि कोई आवेदन किसी लोक प्राधिकारी को ऐसी सूचना के लिए अनुरोध करते हुए किया जाता है, जो किसी अन्य लोक प्राधिकारी द्वारा धारित हो या जिसकी विषय-वास्तु किसी अन्य लोक प्राधिकारी के कृत्यों से अधिक निकट रूप से सम्बंधित हो, वहां वह लोक प्राधिकारी जिसको ऐसा आवेदन किया जाता है, ऐसे आवेदन या उसके ऐसे भाग को, जो समुचित हो, उस अन्य लोक प्राधिकारी को अंतरित करेगा और ऐसे अंतरण के बारे में आवेदक को तुरंत सूचना देगा. 
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारत सरकार द्वारा पारित एक ऐसा अधिकार है जिसके अधीन हर नागरिक इसकी आशा कर सकता है कि, उसके पास भी अब ऐसी शक्ति है जिसके उपयोग के उपरान्त वो भी किसी सरकारी विभाग से किसी भी बात की जानकारी सीधे तौर पर ले सकता है. इस अधिनियम के कारण आम आदमी देश के हर विभाग से सीधा सम्बन्ध रखता है, और इस अधिनियम के अंतर्गत उसे इस बात का अधिकार दिया गया है कि वो सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी नियम की जानकारी, सरकार द्वारा लोगों के हितों के लिए उठाये गए कार्यों का ब्यौरा, सरकार द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले संसाधनों का ब्यौरा मांगने का अधिकार, सरकार द्वारा प्रयोग होने वाले धन के बारे में जानकारी व अन्य जानकारियाँ, जिन्हें वो जान्ने का इच्छुक है, का अधिकार है. देश के जागरूक नागरिक होने के नाते हमें इस अधिनियम की पूर्ण जानकारी लेकर इस अधिनियम का फायदा उठाना चाहिए ताकि हमें भी देश के विभिन्न संगठनों में होने वाली कार्यवाहियों का सम्पूर्ण ज्ञान हो ताकि हमें इस बात की जानकारी हो कि सरकार लोक हित योजनाओं पर कितना कार्य कर रही है तथा धन का सही उपयोग कर रही है या उसका दुरूपयोग कर रही है.

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